पंजाबी बाग अग्निकांड पीडि़तों के बीच अक्षय पात्र फाउंडेशन लगातार वितरित कर रही खाना

 
नई दिल्ली-
 
राजधानी दिल्ली के पंजाबी इलाके के झुग्गियों में पिछले दिनों आग लगने से लोगों का सबकुछ तबाह हो गया। खाने तक को लोग तरसने लगे। ऐसे में अक्षय पात्र नामक संस्था सामने आई। आग लगने से लेकर समाचार लिखे जाने तक संस्था लगातार पीडि़तों के बीच खाना वितरित कर रही है। 
अक्षय पात्र फाउंडेशन के राष्टï्रीय अध्यक्ष भरतअर्ष दास ने बताया कि रोजाना सैकड़ों लोगों के बीच संस्था खाना वितरित कर अपने सामाजिक दायित्वों का निवर्हन कर रही है। उन्होंने बताया कि संकट की घड़ी में अक्षय पात्र फाउंडेशन हमेशा आगे आ कर अपने सामाजिक और धार्मिक दायित्वों का निवर्हन करती       रही है। 
संस्था के किचन हेड मुकेश कक्कड़ ने बताया कि हमारे वॉलंटियर लगातार पीडि़तों के बीच में जाकर उन्हें खाना परोस रहे हंै। अभी तक हजारों(थाली) लोगों को संस्था खाना परोस चुकी है। पीडि़त परिवार के खाने का बेहतर प्रबंध जबतक नहीं होता तबतक खाना वितरित करने का क्रम जारी रहेगा। बता दें, अभी हाल ही में जोशीमठ पीडि़तों के बीच गोविंद दत्ता दास के नेतृत्व में संस्था ने लगभग १००० राशन किट का वितरण किया था। 
गौरतलब है कि  अक्षय पात्र फाउंडेशन देश के 14 राज्यों में 20 लाख से अधिक स्कूली बच्चों को हर रोज खाना परोसती है। इस संस्था की तरफ से पहली थाली..अटल बिहारी वाजपेयी की तरफ से परोसी गई थी। 
अक्षय पात्र फाउंडेशन का इतिहास एक करुण कथा के साथ आरम्भ होता है -कलकत्ता के समीप, मायापुर नाम के गाँव में एक दिन परम पूज्यनीय ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद ने खिडक़ी से बाहर देखते हुए बच्चों के एक समूह को फेंके हुए भोजन के लिए आवारा कुत्तों के साथ लड़ते देखा। इस छोटी सी किन्तु दिल तोड़ देने वाली घटना से एक निश्चय उत्पन्न हुआ कि हमारे केन्द्र के दस मील के दायरे के अन्दर कोई भी भूखा नहीं रहेगा। उनके इस प्रेरणादायक संकल्प से अक्षय पात्र फ़ाउंडेशन को बनाने में मदद मिली जो वो आज है।
अक्षय पात्र फाउण्डेशन की शुरुआत जून 2000 में श्री मधु पंडित दास द्वारा की गयी थी। तब यह संस्था केवल बंगलुरु और कर्नाटक के पांच सरकारी विद्यालयों के 1,500 बच्चों के लिए मध्याह्न - भोजन के तहत पौष्टिक खाना मुहैया कराती थी। अपने शुरूआती दिनों में बच्चों को पौष्टिक खाना उपलब्ध कराना संस्था के लिए आसान नहीं था लेकिन कहते है न जहाँ चाह वहां राह खुद ब खुद मिल जाती है।
आज भारत सरकार एवं कई राज्य सरकारों के साथ साझेदारी और साथ ही कई समाज-सेवी दाताओं की उदारता के साथ यह संगठन विश्व के सबसे बड़े मध्याह्न-भोजन कार्यक्रमों में से एक का संचालन करता है। अक्षयपात्र फाउंडेशन अब तक देश भर में 66 किचन तैयार कर चुका है। सरकारी विद्यालयों के लगभग 20 लाख से अधिक बच्चों को रोजाना ताजा पका, स्वास्थ्यकर भोजन वितरित करता है। देश के अलग-अलग राज्यों में भोजन परोसने के अलावा संस्था के राजधानी दिल्ली में चार किचन संचालित होते हैं, जो करीब एक लाख बच्चों सहित पूरे दिल्ली के सभी नाइट शेल्टरों में भोजन सप्लाई करती है। कोरोना काल में फाउंडेशन ने बेहतर कार्य किया। अक्षय पात्र में फुली ऑटोमेटिक मशीनों के जरिए खाना तैयार किया जाता है और उन्हें बहुत हाइजीनिक व्यवस्था के तहत बच्चों तक पहुंचाया जाता है। 2025 तक प्रतिदिन 30 लाख छात्रों तक शुद्ध एवं पौष्टिक मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने का लक्ष्य संस्था का है।

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Swapnil Mhaske

संबंधित पोस्ट