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आत्मनिर्भरता का नया अध्याय: विदिशा की धरती से भारत की वैश्विक उड़ान -डॉ नयन प्रकाश गांधी
1800 करोड़ का ब्रह्मा-BEML रेल हब स्वदेशी संकल्प, रणनीतिक स्वायत्तता और क्षेत्रीय सशक्तिकरण का है जीवंत प्रतीक

मध्य प्रदेश के विदिशा संसदीय क्षेत्र की भूमि पर एक नए औद्योगिक सूर्य का उदय हुआ है। औबेदुल्लागंज के शांत ग्राम उमरिया में 1800 करोड़ रुपये की विशाल लागत से स्थापित होने वाले "ब्रह्मा-BEML रेल मैन्युफैक्चरिंग हब" का भूमि पूजन केवल एक कारखाने की नींव का पत्थर नहीं है, बल्कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के विराट संकल्प की एक ठोस अभिव्यक्ति है। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव की गरिमामयी उपस्थिति में, क्षेत्रीय सांसद और केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आयोजित यह समारोह, उस नए भारत की तस्वीर प्रस्तुत करता है जो अब केवल आयातक नहीं, बल्कि विश्वस्तरीय प्रौद्योगिकी का निर्माता और निर्यातक बनने की राह पर अग्रसर है। यह परियोजना मात्र एक औद्योगिक इकाई नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव, आर्थिक स्वावलंबन और उस 'स्वदेशी' की भावना का मूर्त रूप है, जिसे अपनाकर भारत अपनी नियति स्वयं लिखने को तैयार है। इस हब में विश्व की सबसे आधुनिक ट्रेनों में से एक, वंदे भारत के कोचों के साथ-साथ मेट्रो और रक्षा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण उपकरणों का निर्माण होगा, जो भारत की दोहरी सामरिक और आर्थिक शक्ति का केंद्र बनेगा। यह पहल दर्शाती है कि भारत अब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक हिस्सा मात्र नहीं, बल्कि उसका एक अनिवार्य और शक्तिशाली ध्रुव बनने की क्षमता और इच्छाशक्ति दोनों रखता है। युवा मैनेजमेंट विश्लेषक ,पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट अंतराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान मुंबई के एलुमनाई डॉ नयन प्रकाश गांधी का मानना है कि इस स्वर्णिम अवसर पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का संबोधन केवल एक राजनीतिक भाषण नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का एक भावुक आह्वान था। जब उन्होंने मंच से हजारों की भीड़ को 'स्वदेशी अपनाओ' का संकल्प दिलाया, तो यह उस आर्थिक राष्ट्रवाद की प्रतिध्वनि थी जिसकी आज देश को सबसे अधिक आवश्यकता है। आज वर्तमान में आवश्यकता है कि "हम घर में जो सामान लेकर आते हैं खाने-पीने, पहनने-ओढ़ने, तेल, शैम्पू, सौंदर्य प्रसाधन अब कोई भी सामान खरीदेंगे तो हम अपने देश में बना हुआ सामान ही खरीदेंगे"। यह विचार प्रत्येक भारतीय को देश के आर्थिक सिपाही के रूप में प्रतिष्ठित करता है, जहाँ उसका प्रत्येक रुपया देश की तिजोरी को मजबूत करने वाला एक अस्त्र बन जाता है। श्री चौहान ने जब कहा कि "144 करोड़ भारतवासियों का देश अगर स्वदेशी अपनाना प्रारंभ कर दें तो हमारी अर्थव्यवस्था और मजबूत हो जाएगी, यही है देश के लिए जीना," तो उन्होंने नागरिकता की एक नई परिभाषा गढ़ी। नागरिकता केवल अधिकारों का उपभोग नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों का निर्वहन है और अपने देश में बने उत्पादों को अपनाना इस युग का सबसे बड़ा राष्ट्रीय कर्तव्य है। यह संकल्प प्रधानमंत्री श्री मोदी के भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने का सबसे सीधा और प्रभावी मार्ग है। यह उस मौन आर्थिक क्रांति का बिगुल है, जो भारत के हर घर से शुरू होकर देश की वर्तमान दशा और भविष्य की दिशा बदलेगी।
इस परियोजना का महत्व केवल आर्थिक और औद्योगिक आयामों तक सीमित नहीं है, इसका एक गहरा रणनीतिक और कृषि-केंद्रित पहलू भी है। श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को यह आश्वासन देकर कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किसी भी अंतरराष्ट्रीय समझौते में उनके हितों की बलि नहीं दी जाएगी, एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। यह संदेश है कि भारत का विकास मॉडल समावेशी है, जहाँ औद्योगिक प्रगति और कृषि सुरक्षा एक दूसरे के पूरक हैं, विरोधी नहीं। यह सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह वैश्विक मंच पर किसी भी दबाव के आगे झुककर अपने अन्नदाताओं के हितों से समझौता नहीं करेगी। इसके साथ ही, यह रेल हब सिर्फ यात्री कोच नहीं बनाएगा, बल्कि रक्षा उत्पादों के निर्माण का भी केंद्र होगा। यह दोहरा उपयोग भारत की रणनीतिक स्वायत्तता की दिशा में एक मील का पत्थर है। अपनी रेलवे और अपनी सेना के लिए देश के भीतर ही विश्वस्तरीय उपकरणों का निर्माण हमें विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर हमारी निर्भरता से मुक्त करता है, जिससे न केवल बहुमूल्य विदेशी मुद्रा बचती है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा भी अभेद्य होती है। यह आत्मनिर्भरता का वह कवच है, जो भारत को वैश्विक अनिश्चितताओं और बाहरी दबावों से सुरक्षित रखेगा।
विकास जब जमीन पर उतरता है, तो वह केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में आए बदलाव से मापा जाता है। श्री चौहान ने जिस गौरव के साथ मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र की 752 इकाइयों और 20 हजार करोड़ के निर्यात का उल्लेख किया, वह इस क्षेत्र की औद्योगिक क्षमता का प्रमाण है। अब यह 1800 करोड़ का नया निवेश इस आर्थिक गति को एक रॉकेट की तरह उड़ान देगा। 5 हजार से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर स्थानीय युवाओं के लिए आशा की एक नई किरण लेकर आए हैं। यह केवल नौकरियां नहीं हैं, बल्कि यह प्रतिभा के पलायन को रोकने और स्थानीय युवाओं को अपने घर के पास सम्मानजनक जीवन देने का एक माध्यम है। इसके अतिरिक्त, यह विशाल संयंत्र अपने आसपास MSME यानी छोटे और मझोले उद्योगों का एक पूरा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करेगा, जो सहायक इकाइयों के रूप में काम करेंगे, जिससे रोजगार का प्रभाव कई गुना बढ़ जाएगा। श्री शिवराज सिंह का भावुक होकर यह कहना कि उन्होंने बचपन से इस क्षेत्र में पदयात्राएं की हैं और आज यह सौगात क्षेत्र की प्रगति को दिन दूनी, रात चौगुनी गति देगी, यह दर्शाता है कि यह परियोजना उनके लिए एक राजनेता का कर्तव्य मात्र नहीं, बल्कि अपनी मिट्टी के प्रति एक पुत्र का समर्पण है। यह भूमि पूजन वास्तव में राष्ट्रहित, स्वदेशी विकास और युवाओं के सशक्तिकरण का एक पवित्र संगम है, जो 'विकसित भारत' के भव्य विशाल संरचना की एक मजबूत नींव रखेगा।
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