कालाजार उन्मूलन के लिए मरीजों के डाटा की जा रही है निगरानी

जिले में वर्ष 2023 से वर्ष 2025 तक नहीं मिला कोई मरीज
कालाजार के लक्षण को न करें अनदेखा, समय पर इलाज जरूरी

शेखपुरा-

कालाजार बीमारी से उन्मूलन के लिए जिले के मरीजों के डाटा की निगरानी की जा रही है। जिसमें इस बात का ध्यान रखा जा रहा है की जिले में अभी तक कितने मरीज हैं एवं कब से कब तक उनका इलाज हुआ है। साथ ही अभी वैसे मरीजों के साथ कोई परेशानी तो नहीं है। इस बात की जानकारी देते हुए सिविल -सर्जन डॉ संजय कुमार ने बताया की शेखपुरा जिला में वर्ष 2023 से वर्ष 2025 अभी तक कालाजार से पीड़ित कोई भी मरीज नहीं मिला है। जबकि वर्ष 2019 में 05 ,वर्ष 2020 में 01 ,वर्ष 2021 में 05 ,वर्ष 2022 में 02 मरीज जिसमे 01 VL एवं 01 PKDL को चिह्नित कर इलाज किया गया था।
डॉ. संजय कुमार ने बताया कि कालाजार बीमारी एक परजीवी रोग है जो बालू मक्खी के काटने से फैलता है और लीशमैनिया परजीवी के कारण होता है। यह एक गंभीर बीमारी है जो यकृत, तिल्ली और अस्थि मज्जा को प्रभावित करती है और, यदि इसका इलाज न किया जाए, तो यह घातक भी हो सकती है.
उन्होंने कालाजार के बारे में बताए हुए कहा की जब यह बीमारी लोगों बालू मक्खी के काटने से होती है, जो खुद परजीवी से संक्रमित किसी अन्य व्यक्ति का खून पीने से परजीवी बन जाती है। वैश्विक स्तर पर 20 से अधिक विभिन्न लीशमैनिया परजीवी हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं और सैंडफ्लाई जिए बालू मक्खीभी कहा जाता है उसकी 90 प्रजातियाँ हैं जो उन परजीवियों को फैलाती हैं.
वहीँ इसके दुसरे रूप पीकेडील बीमारी का लक्षण , चमड़े पर सफेद दाग आ जाना जिसमें सुनापन का पता चलता है. इस बीमारी से बचने के लिए त्वचा को ढक कर रखें यानि पुरे कपड़े पहने ,गंदगी एवं गिले जगहों पर जाने से बचें ,बिस्तर पर सोने से पहले मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें।

रिपोर्टर

  • Harshada Shah
    Harshada Shah

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