दो सप्ताह तक लगातार खांसी हो तो टीबी जांच कराएं

 
-जांच में टीबी की पुष्टि होने पर तत्काल इलाज शुरू करवाएं
-जिले के चार प्रखंडों की नवनियुक्त एएनएम को मिला प्रशिक्षण
 
बांका, 16 फरवरी-
 
पुराना सदर अस्पताल के फार्मेसी कॉलेज में गुरुवार को चार और प्रखंडों की एएनएम को टीबी के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। रजौन, धोरैया, शंभूगंज और बाराहाट प्रखंड की 60 नवनियुक्त एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण सत्र का आयोजन जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. सोहेल अंजुम की अध्यक्षता में किया गया। प्रशिक्षण देने का काम जिला ड्रग इंचार्ज और मास्टर ट्रेनर राजदेव राय, डीपीएस गणेश झा, एसटीएस शिवरंजन कुमार, सुनील कुमार और एसटीएलएस संजय कुमार सिंह ने किया। इस दौरान एएनएम को बताया गया कि अगर किसी को दो सप्ताह या इससे अधिक समय से खांसी हो, छाती में दर्द हो, कफ में खून आए, कमजोरी व थका हुआ महसूस करे, वजन तेजी से कम हो, भूख नहीं लगे, ठंड लगे, बुखार रहे और रात को पसीना आए तो उसकी नजदीकि सरकारी अस्पताल में जांच कराएं। ये लक्षण टीबी के हैं। जांच में अगर टीबी की पुष्टि हो जाती है तो तत्काल उसका इलाज शुरू करवाएं। सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की मुफ्त व्यवस्था है। इतना ही नहीं, दवा भी मुफ्त में दी जाती है और जब तक इलाज चलता है, तब तक उसे निक्षय पोषण योजना के तहत पांच सौ रुपये प्रतिमाह पौष्टिक आहार के लिए राशि दी जाती है।
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. सोहेल अंजुम ने बताया कि टीबी मरीजों की खोज लगातार हो रही है। टीबी के मरीज मिलने पर उसका तत्काल इलाज शुरू कर दिया जाता है। ठीक होने तक उसकी निगरानी होती है। जिले को 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है, इसी को लेकर जिले की नवनियुक्त एएनएम को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पहले दिन मंगलवार को चार प्रखंड की एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया था। गुरुवार को भी चार प्रखंड की एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया। अब जिस प्रखंड की एएनएम बची हैं, उन्हें शुक्रवार को प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये लोग जब पूरी तरह से प्रशिक्षित हो जाएंगी तो जिले में टीबी को लेकर अभियान और तेज होगा।
टीबी को लेकर धारणाओं से बचें- डॉ. सोहेल अंजुम ने बताया कि टीबी संक्रमण को लेकर समाज में कुछ धारणाएं भी हैं। इन धारणाओं की वजह से लोग टीबी ग्रसित लोगों की उपेक्षा करने लगते हैं। टीबी ग्रसित लोगों के प्रति इस तरह की उपेक्षा किया जाना उसके इलाज में भी असुविधा ही पैदा करती है। आमलोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे टीबी संक्रमण होने के सही कारणों की जानकारी लें। सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज की व्यवस्था बिल्कुल मुफ्त है। अगर कोई मरीज मिले तो उसे सरकारी अस्पताल इलाक के लिए ले जाएं।
फेफड़ों व अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है टीबी : डॉ. अंजुम ने बताया कि जब एक व्यक्ति सांस लेता है तो बैक्टीरिया फेफड़ों में जाकर बैठ जाता है और वहीं बढ़ने लगता है। इस तरह से वो रक्त की मदद से शरीर के दूसरे अंगों यथा किडनी, स्पाइन व ब्रेन तक पहुंच जाता है। आमतौर पर ये टीबी फैलने वाले नहीं होते हैं। वहीं फेफड़ों व गले का टीबी संक्रामक होता है जो दूसरों को भी संक्रमित कर देता है।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Dr. Rajesh Kumar

संबंधित पोस्ट